Description
आध्यात्मिक मूल्यों से रहित जीवन कुछ ऐसा ही है, मानो हम कोई अनाथ बालक हों; हम स्वयं को असुरक्षित, प्रेम से रहित तथा अवांछित मान बैठते हैं। मूल्य हमारे ‘माता-पिता’ हैं। मनुष्य की आत्मा इसके द्वारा पोषित मूल्यों से सिंचित होती है। जब हम अपने मूल्यों के अनुसार जीते हैं तो इससे एक सुरक्षा व सहजता का भाव उपस्थित होता है। मूल्य हमें स्वतंत्रता और आजादी देते हैं, आत्मनिर्भर बनने की क्षमता प्रदान करते हुए बाहरी प्रभावों से मुक्त करते हैं। आत्मा के भीतर सत्य को जानने तथा सत्य के पथ का अनुसरण करने की योग्यता विकसित होती है। मूल्य व्यक्ति के हृदय के बंद द्वार खोलकर मनुष्य की प्रकृति को रूपांतरित कर देते हैं, ताकि उसका जीवन करुणा एवं विनय से ओत-प्रोत हो जाए। जब व्यक्ति अपने भीतर मूल्यों को विकसित कर लेता है तो अपने आसपास के संसारों में भी उन मूल्यों की महक फैला देता है, ताकि सभी एक बेहतर जगत् की ओर आगे बढ़ सकें। शुद्ध-सात्विक भाव से जनकल्याण एवं मानवहितार्थ सेवारत ब्रह्माकुमारियों के प्रेरक जीवन से उपजे ‘शुद्ध जीवन जीने के मंत्र’ जो हर पाठक के हृदय को आध्यात्मिक आनंद से समृद्ध कर देंगे|
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